अगर आप Stock Market सीखना चाहते हैं तो कैंडलस्टिक पैटर्न्स की जानकारी बहुत जरूरी होती है। खासतौर पर Bearish Engulfing Candlestick Pattern को समझना सभी ट्रेडर्स के लिए फायदेमंद हो सकता है। इस लेख में हम इसे आसान भाषा में समझेंगे ताकि आप इसे रियल ट्रेडिंग में confidently यूज़ कर सकें।
Bearish Engulfing Candlestick Pattern क्या होता है?
यह एक डबल कैंडलस्टिक पैटर्न है जो दो कैंडल्स से मिलकर बनता है – पहली छोटी बुलिश कैंडल (हरा रंग) और दूसरी बड़ी बेयरिश कैंडल (लाल रंग), जो पहली कैंडल को पूरी तरह “निगल” जाती है। इसीलिए इसे “Engulfing” कहा जाता है।
यह पैटर्न आमतौर पर तब बनता है जब मार्केट अपट्रेंड में हो और फिर अचानक एक रिवर्सल आए।
इस पैटर्न की संरचना कैसे होती है?
- बॉडी: पहली कैंडल छोटी और बुलिश होती है। दूसरी बड़ी बेयरिश कैंडल पहली को पूरी तरह ढक लेती है।
- शैडो: ज़्यादा महत्व नहीं लेकिन इंटेंसिटी समझने में मदद मिलती है।
- सपोर्ट और रेजिस्टेंस: ये पैटर्न ज़्यादातर रेजिस्टेंस लेवल पर बनता है। सपोर्ट/रेजिस्टेंस सेट करना ज़रूरी है।
Engulfing Candlestick क्या है?
“Engulfing” का मतलब होता है “निगलना”। यानी बड़ी कैंडल, छोटी को पूरा कवर कर लेती है।
इसके दो टाइप्स होते हैं:
- Bullish Engulfing Pattern – बड़ी बुलिश कैंडल + छोटी बेयरिश कैंडल
- Bearish Engulfing Pattern – बड़ी बेयरिश कैंडल + छोटी बुलिश कैंडल
कैसे पहचानें Bearish Engulfing Pattern?
- ट्रेंड को पहचानें: यह पैटर्न सिर्फ अपट्रेंड में बनता है।
- कंफर्मेशन लें: पहली कैंडल छोटी और दूसरी बड़ी होनी चाहिए।
- Price Action पर नज़र रखें: पैटर्न बनने के बाद price behavior को analyze करें।
इस पैटर्न का महत्व क्या है?
- सही समय पर इसे पहचान लिया तो रिवर्सल का फायदा उठा सकते हैं।
- ट्रेडर की साइकोलॉजी को दर्शाता है – जब buyers कमज़ोर होते हैं और sellers एक्टिव हो जाते हैं।
ट्रेड कब करें Bearish Engulfing Pattern पर?
- पहचानें: ट्रेंड और पैटर्न दोनों की।
- कंफर्मेशन लें: सही स्ट्रक्चर हो तो ही एंट्री करें।
- एंट्री/एग्जिट सेट करें: मार्केट पर लगातार नज़र रखें।
- एनालिसिस करें: हर ट्रेड के बाद खुद का मूल्यांकन ज़रूरी है।
स्टॉपलॉस और टारगेट कैसे लगाएं?
उदाहरण:
- बेयरिश कैंडल हाई = ₹2000
- अगली कैंडल लो = ₹1964
- एंट्री पॉइंट = ₹1964
- टारगेट = 1964 – (2000 – 1964) = ₹1928
- स्टॉपलॉस = ₹2000
हमेशा अपने रिस्क-रिवार्ड रेशियो को ध्यान में रखकर ट्रेड करें।
इस पैटर्न की पीछे की साइकोलॉजी क्या है?
- पहले buyers एक्टिव रहते हैं क्योंकि मार्केट ऊपर जा रहा होता है।
- पैटर्न बनने के बाद buyers पीछे हट जाते हैं और sellers कंट्रोल में आ जाते हैं।
- इससे साफ होता है कि sellers ने मार्केट को dominate कर लिया है।
एडवांटेज और डिसएडवांटेज क्या हैं?
एडवांटेज
- रिवर्सल सिग्नल मिलता है।
- multiple timeframes में दिखाई देता है।
- एंट्री/एग्जिट डिसीजन क्लियर होते हैं।
डिसएडवांटेज
- गलत ट्रेंड पहचानने पर fake सिग्नल मिल सकता है।
- बिना कंफर्मेशन के यूज़ किया तो नुकसान हो सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस आर्टिकल में हमने Bearish Engulfing Candlestick Pattern को समझा आसान भाषा में – इसका मतलब, स्ट्रक्चर, साइकोलॉजी, यूज़ कैसे करें, एंट्री-एग्जिट पॉइंट, और इसके फायदे-नुकसान।
अगर आप शेयर मार्केट में नए हैं तो इसे पहले पेपर ट्रेडिंग में ट्राई करें। प्रैक्टिस बढ़ाएं, फिर रियल ट्रेड में यूज़ करें।
अगर आपका कोई सवाल हो, तो नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं।
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